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जिंदगी और शतरंज में अगर खेल पलट ना हो
तो जमीर और वजीर कभी मरने मत देना
चूल्हे नहीं जलाए की बस्ती ही जल गई
कुछ रोज हो गए हैं अब उठता नहीं धुआ
दुआएं मिल जाए यही काफी है
दवाये तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती हैं
यहां तो हर किसी का बिखरा पड़ा है वजूद अपना
फिर वे लोग कहां है मोहब्बत ने जिनकी जिंदगी सवारी है
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mast bhai 1no.