गुड नाईट शायरी
हाय रे नींद,, तुम भी साले उसके ही ग़ुलाम निकले,, ये भी कोई वक़्त है उसकी याद आने की,,। 🙇
हाय रे नींद,, तुम भी साले उसके ही ग़ुलाम निकले,, ये भी कोई वक़्त है उसकी याद आने की,,। 🙇
मुद्दतों बाद आज उनसे मुलाकात हुई मैंने कहा, कुछ झूठ ही बोल दो और वह मुस्कुरा कर बोले, तुम्हारी बहुत याद आती है….😅
जो खुदगर्ज होता है उसको दूर ही रखो जाने वाले के पास कई बहाने होते हैं
कितना भी पकड़ लो फिसलता जरूर है यह वक्त है साहब बदलता जरूर है
नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम ये काफी है कि हम दुश्मन नहीं वफादारी का दावा क्यों …