*तूफान में कश्तिया*
*और*
*अहंकार में हस्तियां*
*डूब जाती है।..*
*क्योंकि*
*जीते जी*
*इंसान की प्यास कभी*
*नही बुझती*
*शायद इसीलिए*
*अस्थियां नदी में*
*बहाई जाती हैं*
🙏🙏